अमर नाथ श्राइन बोर्ड से संबंधित जमीन विवाद को लेकर भाजपा के साथ अपने आप को हिन्दुओ के मसीहा समझने की जुर्रत करने वाले तथाकथित संगठन एक बार फिर हिन्दुओ की भावनाओ के साथ खिलवाड कर राजनैतिक वैतरणी पार करने की फिराक मे दम मारते दिख रहे है । प्रश्न यह उठता है कि कुछ वर्ष पुर्व जब जम्मु काश्मीर मे भाजपा के साथी नेशनल कांफ्रेस की सरकार थी तब श्राइन बोर्ड को जमीन देने की बात उन्होने सोची क्यों नही ? छ. ग. राज्य मे हज हाउस की जमीन का विवाद चल रहा है, राज्य की भाजपा सरकार चुप क्यों है? जमीन विवाद के पश्चात हुये दंगो मे देश भर मे हुई हत्या, लुट और संपंति के नुकसान के लिये कौन जिम्मेदार है? क्या भाजपा का एक मात्र उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को भडका कर सत्ता प्राप्त करना है? मै भी पहले एक हिन्दु हुं फिर किसी पार्टी का सद्स्य, क्या कोई मेरी भगवान राम या देवी देवताओ के प्रति श्रद्दा पर अंगुली उठा सकता है? मै भी पुजा पाठ पर विश्वास करता हुं, और शायद भाजपा के एक कार्यकर्ता से ज्यादा ही मंदिर जाकर पुजा अर्चना करता हुं. भाजपा ने अपने जन्म से आज तक हिन्दु हित मे ऎसा कौन सा एक भी कार्य किया है जिससे एक हिन्दु उस पर विश्वास करे। भाजपा भगवान राम को अपना ब्रांड अम्बेसडर जैसा मान कर चल रहे है और इसकी जितनी निंदा की जाये कम है । एक बात और जो हमेशा देखने मिलती है कि श्राइन बोर्ड या गोधरा जैसे किसी भी मुद्दे पर भाजपा एक समय विशेष तक तो विहिप, बजरंग दल जैसे संगठनो के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलती है, सुर से सुर मिलाती रहती है, आंदोलन इत्यादि करती दिखती है, पर जैसे ही दुष्परिणाम दंगो, लुट पाट के रुप मे शुरु होते है भाजपा राग बदल देती है अपने आप को अलग दिखाने के लिये तरह तरह के बयान इनके बडे नेताओ के आने लगते है जिसमे प्रमुखता के साथ यह बताने का प्रयास किया जाता कि हमने ऎसा नही किया। इतिहास मे ऎसे उदाहरण भरे पडे है, पर आज आम हिन्दु जाग गया है, इनके छलावे मे वो आने वाला नही है, भारत का विकास करना है तो सब को साथ लेकर चलना होगा। धर्म संप्रदाय को आपस मे लडाने का हर्ष हमने विभाजन के रुप मे झेला है और भारत मे ये काम अंग्रेजो के पश्चात कोई कर रहा है तो वो भाजपा है?
Saturday, July 12, 2008
Friday, June 20, 2008
महंगाई, कांग्रेस और बदलाव
भारत मे बढती महंगाई के लिये विपक्षी दल के साथ वाम दल युपीए को जिम्मेदार ठहरा ने की अपनी परंपरा का निर्वहन कर रहे है और विपक्ष की भुमिका मे रहने वाली कोई भी पार्टी यही करती भी। सब जानते है कि महंगाई पर लगाम कसना इतना आसान काम नही रह गया है फिर चाहे कोई भी पार्टी सत्ता मे रहे, फिर भी प्रधानमंत्री जी एंव वित्तमंत्री जी पर सभी को विश्वास है कि महंगाई जिसने पिछले तेरह वर्ष का रिकार्ड तोड दिया है नियंत्रित होगी परन्तु कदम क्या उठाये जा रहे है इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा और एक बात तो सत्य है बढती महंगाई का नुकसान कांग्रेस पार्टी को आगमी चुनावो मे उठाना पड सकता है इस नुकसान की भरपाई कैसे हो यह एक चिंतनीय विषय है। यहा पर प्रश्नन यह उठता है कि क्या महंगाई से या अन्य किसी आफत से जनता को उबारने का जिम्मा केवल एक ही सरकार का है? क्या राज्य सरकारो का कोई उत्तरदायित्व नही बनता? क्या सरकार के कार्यो का उद्देश्य लाभ हानि आधारित हो गया है? अगर ऎसा है तो जनता भगवान भरोसे ही है, यहा मै केवल एक दल विशेष की बात नही करना चाहता सभी दलो को वर्तमान परिस्तिथियो मे पार्टी हित और वोट बैंक की राजनीति को किनारे रखकर कुछ ठोस कदम उठाने होंगे.। केन्द्र सरकार ने पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों मे जो बढोतरी की उससे उन राज्य सरकारो के खजानो मे सैकडो करोड रुपये की बढोतरी होगी जिन्होने अपने राज्य मे टैक्स की दरो मे कमी नही की, क्या इस बढोतरी का लाभ राज्य की जनता को मिल पायेगा शायद मिले भी पर भ्रष्टाचार के पैरो मे कुछ हिस्सा चढने के पश्चात। कांग्रेस को भी वर्तमान परिस्थिती से कुछ सीखना होगा, कांग्रेस मे युवा वर्ग का एक तबका ऎसा भी है जो शैक्षणिक योग्यता से लैस है, सुचना और संचार के माध्यमों का उचित उपयोग करना जानता है, उसे इतिहास से अनुभव ग्रहण करने मे जिसे कोई संकोच नही होता, वह बुजुर्गों के प्रति आदर का भाव रखता है, ऎसे तबके के लोगो को अब आगे आना चाहिये। राष्ट्र के युवा नेता राहुल गांधी जी के साथ मिलकर इस देश को तरक्की की नई राह मे ले जाने के लिये बिना समय गवाएं कुछ कर गुजरना चाहिये। मिडिया हमारी आलोचना करता है कि कांग्रेसी अपने नेताओ की चापलुसी करने की सारी सीमाएं लांघ जाते है, मै मिडिया की इस बात से सहमत जरुर हुं पर कांग्रेस मे अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हुं की प्रत्येक कांग्रेसी कार्यकर्ता ऎसा नही है, चंद लोगो की वजह से यह कह देना की स्भी कांग्रेसी ऎसे ही है उचित नही होगा, वास्तव मे आज वही बिकता है जो दिखता है और कांग्रेस मे जिस तबके की मै बात कर रहा हुं वो दिखता नही है, उसे कोई देखना भी नही चाहता कांग्रेस भवन मे मैने कई मीडिया कर्मियो को ऎसी बाते कहते हुये सुना है जिसमे की वे ऎसी टिप्पणी करवाने का प्रयास करते है जिससे की कुछ धमाकेदार खबर बन सके। गुटबाजी और अनुशासन हीनता किस पार्टी मे नही है? क्या कोई भी पार्टी अपने यहा इनसे इंकार कर सकती है? फिर क्या बात है कि कांग्रेस के विषय मे ये मीडिया की पसंदीदा बिषय होते है? इसके लिये मै मिडिया को कतई जिम्मेदार नही मानता, दरअसल आफ द रिकार्ड ब्रीफिंग मे हमारे कांग्रेस के निचले स्तर के नेता शायद बहुत आगे है अपने से जुडी खबरो को छपवाने के लिये ये आधी आधी रात तक अखबार के द्फ्तरो के चक्कर लगाते, विनय अनुवय करते देखे जा सकते है। कुछ चेहरे तो लोकल न्युज चेनलो के समाचारो मे रोजना देखे जा सकते है, बडे नेताओ की बाइट के दौरान अपना चेहरा कैमेरे मे लाने के लिये काफी मशकत्त करते भी इन्हे देखा जा सकता है। मीडिया फीवर होना अच्छी बात है पर अगर यह फीवर मलेरिया का रुप ले ले तो खतरनाक भी हो सकता है ये ऎसे लोगो को समझना चाहिये।
Friday, May 23, 2008
मीसा बंदियों को पेंशन शहर कांग्रेस का विरोध
शहर कांग्रेस कमेटी के महामंत्री मनोज कंदोई ने राज्य सरकार के मीसा बंदियों को पेंशन देने के निर्णय को निंदनीय और इतिहास बदलने का प्रयास बताया है श्री कंदोई के अनुसार आपातकाल के दौरान जो लोग जेल गये वे अब अपने आप को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के समकक्ष समझने की जुर्रत कर रहे है, जबकि १८५७ से १९४७ तक के स्वतंत्रता के आंदोलन मे इनका तिल मात्र का भी योग दान नही था. आर.एस.एस और उसके सहयोगी संगठन इस बात को अच्छी तरह से जानते है और इसिलिये वे उन राज्य मे जहा भाजपा की सरकार है इतिहास बदलने का कुत्सित प्रयास कर रहे है। जो लोग इंदिरा जी के आपातकाल के निर्णय को इतिहास के काले अध्याय की तरह समझते है उन्हे गंभीरता से विचार करना चाहिये। महामंत्री कंदोई के अनुसार कुछ एक वर्ष पुर्व ही राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका ने एक सर्वेक्षण कराया था जिसमे वर्तमान परिस्थितियो मे समस्याओ को हल करने मे सबसे सक्षम कौन होता? विषय पर एक सर्वेक्षण था, लगभग और सर्वाधिक ४१% लोगो ने इंदिरा जी को सबसे काबिल बताया। भाजपा वाले तर्क देते है कि आपातकाल के बाद कांग्रेस को जनता ने सत्ता से बाहर करके इस निर्णय को गलत साबित कर दिया था पर वे भुल जाते है कि बाद के वर्षो मे हुये चुनाव मे सत्ता फिर से इंदिरा जी के हाथो मे सौप कर उसी जनता ने अपना विश्वास भी जाहिर किया।
कंदोई राज्य सरकार के इस निर्णय से उन लोगो को फायदा अवश्य होगा जिनका इस देश की उन्नति, स्वतंत्रता और प्रगति मे कोई योगदान नही रहा और भार उन लोगो, उस आम जनता पर पडेगा जो पसीने कमाई से विकास के लिये टैक्स देते है। अंत मे यही कहा जा सकता है कि भाजपा १८५७ की क्रांति को तो याद करती है पर स्वतंत्रता आदोलन मे गांधी जी के पदार्पण के बाद के समय को वो भुलना चाहती है और स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयो के समकक्ष एक संगठन मीसा बंदियो के नाम पर खडा करना चाहती है जो शायद केन्द्र मे एनडीए की सरकार रहते वो नही कर पाई। महामंत्री कंदॊई के अनुसार जैसे की परंपरा बन गयी है मीसा बंदी अब रमन सिंह का भव्य सम्मान समारोह राजधानी मे आयोजित करेंगें और फिर शुरु होगा इतिहास को नये तरीके से लिखने का एक और खेल। शहर कांग्रेस इस निर्णय का हर स्तर पर विरोध करेगी और अपने आला नेताओ से निवेदन करेगी की इस बात को चुनाव घोषणा पत्र मे शामिल करे की जनता पर अतिरिक्त भार डालने वाले इस निर्णय को कांग्रेस की सरकार आने पर बदल देगी।