Friday, June 20, 2008

महंगाई, कांग्रेस और बदलाव

भारत मे बढती महंगाई के लिये विपक्षी दल के साथ वाम दल युपीए को जिम्मेदार ठहरा ने की अपनी परंपरा का निर्वहन कर रहे है और विपक्ष की भुमिका मे रहने वाली कोई भी पार्टी यही करती भी। सब जानते है कि महंगाई पर लगाम कसना इतना आसान काम नही रह गया है फिर चाहे कोई भी पार्टी सत्ता मे रहे, फिर भी प्रधानमंत्री जी एंव वित्तमंत्री जी पर सभी को विश्वास है कि महंगाई जिसने पिछले तेरह वर्ष का रिकार्ड तोड दिया है नियंत्रित होगी परन्तु कदम क्या उठाये जा रहे है इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा और एक बात तो सत्य है बढती महंगाई का नुकसान कांग्रेस पार्टी को आगमी चुनावो मे उठाना पड सकता है इस नुकसान की भरपाई कैसे हो यह एक चिंतनीय विषय है। यहा पर प्रश्नन यह उठता है कि क्या महंगाई से या अन्य किसी आफत से जनता को उबारने का जिम्मा केवल एक ही सरकार का है? क्या राज्य सरकारो का कोई उत्तरदायित्व नही बनता? क्या सरकार के कार्यो का उद्देश्य लाभ हानि आधारित हो गया है? अगर ऎसा है तो जनता भगवान भरोसे ही है, यहा मै केवल एक दल विशेष की बात नही करना चाहता सभी दलो को वर्तमान परिस्तिथियो मे पार्टी हित और वोट बैंक की राजनीति को किनारे रखकर कुछ ठोस कदम उठाने होंगे.। केन्द्र सरकार ने पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों मे जो बढोतरी की उससे उन राज्य सरकारो के खजानो मे सैकडो करोड रुपये की बढोतरी होगी जिन्होने अपने राज्य मे टैक्स की दरो मे कमी नही की, क्या इस बढोतरी का लाभ राज्य की जनता को मिल पायेगा शायद मिले भी पर भ्रष्टाचार के पैरो मे कुछ हिस्सा चढने के पश्चात। कांग्रेस को भी वर्तमान परिस्थिती से कुछ सीखना होगा, कांग्रेस मे युवा वर्ग का एक तबका ऎसा भी है जो शैक्षणिक योग्यता से लैस है, सुचना और संचार के माध्यमों का उचित उपयोग करना जानता है, उसे इतिहास से अनुभव ग्रहण करने मे जिसे कोई संकोच नही होता, वह बुजुर्गों के प्रति आदर का भाव रखता है, ऎसे तबके के लोगो को अब आगे आना चाहिये। राष्ट्र के युवा नेता राहुल गांधी जी के साथ मिलकर इस देश को तरक्की की नई राह मे ले जाने के लिये बिना समय गवाएं कुछ कर गुजरना चाहिये। मिडिया हमारी आलोचना करता है कि कांग्रेसी अपने नेताओ की चापलुसी करने की सारी सीमाएं लांघ जाते है, मै मिडिया की इस बात से सहमत जरुर हुं पर कांग्रेस मे अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हुं की प्रत्येक कांग्रेसी कार्यकर्ता ऎसा नही है, चंद लोगो की वजह से यह कह देना की स्भी कांग्रेसी ऎसे ही है उचित नही होगा, वास्तव मे आज वही बिकता है जो दिखता है और कांग्रेस मे जिस तबके की मै बात कर रहा हुं वो दिखता नही है, उसे कोई देखना भी नही चाहता कांग्रेस भवन मे मैने कई मीडिया कर्मियो को ऎसी बाते कहते हुये सुना है जिसमे की वे ऎसी टिप्पणी करवाने का प्रयास करते है जिससे की कुछ धमाकेदार खबर बन सके। गुटबाजी और अनुशासन हीनता किस पार्टी मे नही है? क्या कोई भी पार्टी अपने यहा इनसे इंकार कर सकती है? फिर क्या बात है कि कांग्रेस के विषय मे ये मीडिया की पसंदीदा बिषय होते है? इसके लिये मै मिडिया को कतई जिम्मेदार नही मानता, दरअसल आफ द रिकार्ड ब्रीफिंग मे हमारे कांग्रेस के निचले स्तर के नेता शायद बहुत आगे है अपने से जुडी खबरो को छपवाने के लिये ये आधी आधी रात तक अखबार के द्फ्तरो के चक्कर लगाते, विनय अनुवय करते देखे जा सकते है। कुछ चेहरे तो लोकल न्युज चेनलो के समाचारो मे रोजना देखे जा सकते है, बडे नेताओ की बाइट के दौरान अपना चेहरा कैमेरे मे लाने के लिये काफी मशकत्त करते भी इन्हे देखा जा सकता है। मीडिया फीवर होना अच्छी बात है पर अगर यह फीवर मलेरिया का रुप ले ले तो खतरनाक भी हो सकता है ये ऎसे लोगो को समझना चाहिये।