Saturday, January 26, 2008

गांधी के बाद गांधीवादी विचारधारा की हत्या का प्रयास आज भी जारी:शर्म करो,शर्मकरो

हमारी स्वतंत्रता के लिये अपने प्राणो की आहुति जिन लोगो ने दी उनमे से बहुत सारे लोगो के विषय मे हमे इतिहास के पन्नो से ही जानकारी उपलब्ध हो पाती है, इसके अलावा असंख्य लोग ऎसे है जिनके विषय मे हम मे से कईयो को जानकारी है भी नही परन्तु हम उन्हे भी नमन करते है, हम उन सैनिको को भी श्रद्वा सुमन अर्पित करते है जिन्होने स्वतंत्र भारत की सुरक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति दी । पर क्या करे भारत की इस विशाल जनसंख्या मे चंद तत्व ऎसे भी है जो गांधी और उनकी विचारधारा से जरा भी इतफाक नही रखते उनके अपने तर्क हो सकते है, तर्क के वितर्क हो सकते है पर क्या इस सच्चाई से कोई मुहं मोड सकता है कि गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग को अपना कर इतने वर्षो के अंग्रेजों के शासन को समाप्त कर दिया, उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने वालों को बापु के कार्यशैली पर कोई एतराज नही था वे तो बस आजादी चाहते थे, क्योकि गुलामी क्या होती है इसका अहसास शायद पढ्कर, और सिनेमाओ मे देखकर नही लगाया जा सकता है। इसलिये उन लोगो पर जो बापु के विरोधी है, उनके कार्यों के विरोधी है, जो बापु और उनकी विचारधारा से इतेफाक नही रखते और बापु के प्रति जिनकी भावनाऎ अच्छी नही है और जो गांधीवादी विचारधारा की हत्या के प्रयास मे लगातार लगे है, उन्हे शर्म आनी चाहिये. आप सोच रहे होगें की आखिर आज मुझे हो क्या गया है? दर असल पिछले दिनो मै http:///www.hindujagruti.org" का अवलोकन कर रहा था उसमे गांधी जी के प्रति जो बाते लिखी गयी है उनमे से किसी भी बात का उल्लेख करना जरा भी उचित नही होगा।

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